Sunday 30 September 2012

वो जिसके हाथ में छाले हैं

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हिंदी  के मशहूर कवि रामनाथ सिंह उर्फ़ अदम गोंडवी की २ कविताएँ



1.
वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बँगले में आई है

इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्‍नी का
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है

कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले
हमारा मुल्‍क इस माने में बुधुआ की लुगाई है

रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी

जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है
 
2.
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये
 
हममें कोई हूण , कोई शक , कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात , अब उस बात को मत छेड़िये

ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं ; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये

हैं कहाँ हिटलर , हलाकू , जार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गये सब ,क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये

छेड़िये इक जंग , मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त , मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये
 


-अदम गोंडवी

Wednesday 26 September 2012

Tum Prem Anurodh Ho

आशा और निराशा हो

तुम अव्यक्त पिपासा हो

सत्य और असत्य हो

तुम अंतहीन कथ्य हो


पाप और पुण्य हो

तुम अनंत शुन्य हो

आचार और अनाचार हो

तुम जीवन आधार हो


आरम्भ और अंत हो

तुम आनंद अनंत हो

काम और क्रोध हो

तुम प्रेम अनुरोध हो


यथार्थ और स्वप्न हो

तुम अबूझ प्रश्न हो ...

Monday 24 September 2012

Mere Ekaki Jeevan Mein


मेरे एकाकी जीवन में

तुम मधुरता का आलिंगन

स्वप्न सजोती आँखों से

तुम नीदिया का बंधन ...

 

कण कण आलोकित करती

दिनकर की रश्मि तुम

अन्धकार में आलंबन हो

निर्बलता में शक्ति तुम...

 

जीवन की निर्जनता में

तुम हृदय का स्पंदन

मेरे एकाकी जीवन में

तुम मधुरता का आलिंगन...

Sunday 23 September 2012

Tum Ek Swapn Ho

तुम एक स्वप्न हो
एक ऐसा स्वप्न जो पहले कभी देखा
स्वप्न में रंग नहीं होता
लेकिन तुम रंगों का सागर हो
ऐसे रंग जो अनुभूत होते हैं
चंचल चमकते पारदर्शी रंग...

तुम एक स्वप्न हो
ऐसा स्वप्न जो जीवन की अविरल धारा
आह्लादित करने वाला कोलाहल
स्वप्न जो शाश्वत सत्य है
शीतल, मृदु , मनोरम...

तुम एक स्वप्न हो
एक ऐसा स्वप्न जो जाता है अचानक
सर्दियों में धूप की तरह
जीवन की कठोरता का हरण करने
नर्म कोमल स्पर्श की तरह...
तुम एक स्वप्न हो /