Sunday 21 October 2012

Maayaa


माया


आँख मिचौली अब मत खेलो

अब मैं तुमको जान गया हूँ

तुम दुनिया को चकमा देती

मैं तुमको पहचान गया हूँ

 

कभी इधर तो कभी उधर

नहीं तुम्हारा कोई ठिकाना

सब हैं तेरे पीछे पागल

तुमने किसको अपना जाना

 

धर के रूप रंग अनेक

कर देती कैसा पागल

सुध बुध खो देते सब

हो जाते बेचारे घायल

 

कैसा रचा अनोखा तुमने

लालच का षड्यंत्र

बिरले योगी हैं ऐसे

जो साधे तेरा मंत्र ...

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