Diwali
दीयों की लड़ियों से सजे
दरवाजे पर
किसी ने दस्तक दी
दरवाज़ा खोला तो ख़ुशी चुपचाप
खड़ी थी
मैंने अपने पांच दीयों की
रौशनी में देखा
दो दिए उसकी डबडबाई आँखों में
जल रहे थे
शायद उसे मेरे घर के रास्ते
में
कई घरों में अँधेरे मिले
होंगे
उसे देख कर मैंने सोचा मेरी
ख़ुशी
इतनी उदास नहीं हो सकती
और न तो मैं इतना सीमित
मैंने अपने घर के पांच
दीयों में से
दो दिए उठाये
और अँधेरे में डूबे दो
दरवाज़ों पे रख दिया
मेरे दरवाज़े पे खड़ी ख़ुशी के
चेहरे पर
मुस्कान आ गयी , थोड़ी सी
सही
-
अनिल
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