Sunday 15 June 2014
वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं
वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं
Saturday 7 June 2014
सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते जाते
A beautiful gazal by famous Urdu Shayar "Ahmad Faraz"
सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते-जाते
वरना इतने तो मरासिम थे कि आते-जाते
शिकवा-ए-जुल्मते-शब से तो कहीं बेहतर था
अपने हिस्से की कोई शमअ जलाते जाते
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जाना
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते
जश्न-ए-मक़्तल ही न बरपा हुआ वरना हम भी
पा बजोलां ही सहीं नाचते-गाते जाते
उसकी वो जाने, उसे पास-ए-वफ़ा था कि न था
तुम 'फ़राज़' अपनी तरफ से तो निभाते जाते
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